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गंगा कटाव के पीड़ितों से मिले विधायक अनंत ओझा, कहा पीड़ितों को मुआवजा व पुनर्वास दे सरकार

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द फॉलोअप टीम, साहिबगंज: 


साहिबगंज जिले के राजमहल से विधायक अनंत ओझा ने प्राणपुर पंचायत के पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। प्राणपुर सहित आस-पास के क्षेत्रों का लगभग 500 एकड़ से ज्यादा भूखंड गंगा में समा गया है। दशकों से इन क्षेत्रों में रह रहे हजारों लोगों ने अपने घर, आंगन, जमीन, फसल, पेड़-पौधे, जानवर आदि खोये हैं। प्राणपुर पंचायत में ही कुछ दिन पहले जितनगर प्राथमिक स्कूल भी गंगा नदी में बह गया। यह सब कुछ कई सालों से हो रहा है औऱ अब भी जारी है। वहां के भयभीत लोगों से स्थानीय विधायक अनंत ओझा ने मुलाकात की, उनके दर्द को समझा और उनकी मदद की। 

घर तोड़कर दूसरे स्थान पर ले जा रहे हैं लोग 
कटाव में घर बह न जाए, इसलिए लोग अपना घर खुद ही तोड़कर दूसरे स्थान तक ले जा रहे हैं। ऐसा करने से कम से कम ईंट के पैसे बच जाएंगे। लेकिन कई लोग हैं जिनके लिए घर तोड़कर फिर से बनाना संभव नहीं है। ऐसे लोगों की विधायक अनंत ओझा ने आर्थिक मदद की। स्थानीय मुखिया से राशन सामग्री उपलब्ध करवाने को कहा। अनंत ओझा ने पूरे इलाके का मुआयना किया और मदद का आश्वासन दिया। 

 

कोई अधिकारी मिलने तक नहीं आया
स्थानीय लोगों ने विधायक को बताया कि स्कूल बह जाने की बड़ी घटना के बाद भी कोई प्रशासनिक अधिकारी उनसे मिलने के लिए नहीं आया। अनंत ओझा ने सरकार से मांग की है कि प्रभावित लोगों को उचित मुवावजे के साथ उधवा प्रखंड के पंचायत कटहलबाड़ी अंतर्गत मौजा मदिया में पुनर्वासित किया जाए जहां वे लोग सुरक्षित जीवन यापन कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कटाव रोकने की तरफ भी प्रयास किया जाना चाहिए 

 

विधानसभा तक में उठ चुका है मामला
गंगा कटाव का मामला गंभीर है। इससे सैकड़ों परिवार प्रभावित हैं। हर साल इसमें कई नये परिवार जुड़ जाते हैं। इस मामले को लेकर विधायक अनंत ओझा ने कई बार विधानसभा में बात उठा चुके हैं। लेकिन अभी तक इस ओर कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है। 

 

गंगा में आखिर क्यों होता है कटाव 
गंगा में गाद भर जाने की वजह से उसकी गहराई कम हो रही है। ऐसे में बारिश के दिनों में जलस्तर बढ़ जाने से पानी तटीय मिट्टी को बहाकर ले जाती है। कई बार इसमें बड़ा भूखंड भी होता है। इसी में घर, खेत, खलिहान आदि बह जाते हैं। सैकड़ों परिवार इससे प्रभावित हो रहे हैं। केंद्र स्तर पर कई योजनाओं के बाद भी गंगा की सफाई नहीं हो सकी। ना ही कटाव को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय निकाला जा सका है।